सूत्र :तदनुपलब्धेरनुपलम्भादावर-णोपपत्तिः II2/2/20
सूत्र संख्या :20
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : . यह जो कहा गया है कि शब्दावरक पदार्थ के प्रतीत न होने से शब्द का छिप जाना नहीं मान सकते, किन्तु शब्द का नाश मान सकते हैं, इसका उत्तर यह है कि आवरक पदार्थ के प्रत्यक्ष न होने से यह मान लेना कि आवरक वस्तु नहीं है, ठीक नहीं है। किन्तु जब शब्द होकर नष्ट हो गया तो उसकी दोनों अवस्थायें अनुमित हो सकती हैं अर्थात् शब्द का छिप जाना या नाश हो जाना। जो कि आवरण का अभाव भी प्रत्यक्ष सिद्ध नहीं है इसलिए आवरण का होना सिद्ध है। इस पर और भी हेतु देते हैं:-