सूत्र :समे आत्मत्यागः परत्यागो वा 6/1/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि दोनों धर्म और अपकार में बराबर हों तो चाहे स्वयं न खाय चाहे स्वयं खोले अर्थात् चाहे स्वयं खाय वा अतिथि को खिला दे। इस अवस्था में दोनों से उपकार ही स होगा। इसमें अपने का छोड़कर दूसरें को दे देना उत्तम पक्ष है और स्वयं खा लेना मध्यम पक्ष है।
प्रश्न- यदि दूसरा अपने से धर्मात्मा और परोपकारी अधिक हो तो क्या करे?