DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :विशिष्टस्य जीवत्वमन्वयव्यतिरेकात् II6/63
सूत्र संख्या :63

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जो ईश्वर के गुणों से पृथक् शरीर युक्त है उसको जीव संज्ञा से बोलते हैं, इस बात को अन्वय-व्यतिरेक से जानना चाहिये अर्थात् जीव के होने से शरीर में बुद्धि का प्रकाश और न होने से बुद्धि आदि का अप्रकाश दीखता है।

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