सूत्र :अहंका-रकर्त्रधीना कार्यसिद्धिर्नेश्वराधीना प्रमाणाभावात् II6/64
सूत्र संख्या :64
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अहंकार ही धर्म आदि कार्यों को करने वाला है, धर्म को ईश्वर नहीं कराता, क्योंकि यदि धर्मादि ईश्वर स्वयम् बनावे तो फल देना अन्याय हो जाय।