सूत्र :द्वाभ्यामपि प्रमाणविरोधः II6/47
सूत्र संख्या :47
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि दोनों ही मानें तो प्रमाण से विरोध होता है, क्योंकि यदि उपाधि को सत्य मानें तो जिन प्रमाणों से अद्वैत की सिद्धि करते हैं उनसे विरोध होगा। यदि उपाधि को मिथ्या मानें तो जिन प्रमाणों से उपाधि को सिद्ध करते हैं उनसे विरोध होगा। अब इस विषय पर आचार्य अपना मत कहते हैं-