सूत्र :कर्मवैचित्र्यात्सृष्टिवैचित्र्यम् II6/41
सूत्र संख्या :41
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रत्येक मनुष्य के कर्मों की वासनायें भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं करण से प्रकृति की सृष्टि भी अनेक प्रकार की होती है, एक-सी नहीं होती है।