सूत्र :उत्कर्षादपि मोक्षस्य सर्वोत्कर्षश्रुतेः II1/5
सूत्र संख्या :5
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मोक्ष सब सुखों से परे है और प्रत्येक बुद्धिमान् सबसे परे पदार्थ की ही इच्छा करता है। इस हेतू से दृष्ट पदार्थों को छोड़कर मोक्ष के लिए प्रयत्न करें, यही प्राणियों का मुख्य उद्देश्य है।