DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :सर्वासम्भवात्सम्भवेऽपि सत्त्वासम्भवाद्धेयः प्रमाणकुशलैः II1/4
सूत्र संख्या :4

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : प्रथक तो प्रत्येक दुःख दृष्ट पदार्थों से दूर ही नही होता, क्योकि सर्व वस्तु प्रत्येक देष और काल में प्राप्त नहीं हो सकती। यदि मान भी लें कि प्रत्येक आवष्यकीय वस्तुयें सुलभ भी हों तथापि उन पदार्थों से दुःख का अभाव नही हो सकता, केवल दुःख का तिरो-भाव कुछ काल के लिये हो जायेगा, अतएव बुद्धिमान को चाहिए कि दृष्ट पदार्थों से दुःख दूर करने का प्रयत्न न करै, दुःख के मूलोच्छेद करने का प्रयत्न करे, जैसा कि लिखा है-