सूत्र :न दृष्टात्तत्सिद्धिर्निवृत्तेरप्य-नुवृत्तिदर्शनात् II1/2
सूत्र संख्या :2
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दष्ट पदार्थों अर्थात् औषधादि द्वारा दुःख का अत्यन्ताभाव हो जाना सम्भव नही, क्योकि जिस पदार्थ के संयोग से दुःख दूर होता है, असके वियोग से वही दुःख फिर उपस्थित हो जाता है, जैसे अग्नि के निकट बैठने या कपड़े के संसर्ग से शीत दूर हो जाता है, और अग्नि या कपड़े के अलग होने से फिर वही शीत उपस्थित हो जाता है, अतएव दृष्ट पदार्थ अनागत दुःख की औषध नही। प्रश्न- क्या दृष्ट पदार्थ दुःख की अत्यन्त निवृत्ति का कारण नही?
उत्तर- नही।