सूत्र :प्रधानशक्तियोगाच्चेत्सङ्गापत्तिः II5/8
सूत्र संख्या :8
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि ईश्वर को प्रधान शक्ति का योग हो, तो पुरूष में संगापत्ति हो जाए अर्थात् जैसे प्रकृति सूक्ष्म से मिलकर कार्यरूप में संगत हुई हैं, वैसे ईश्वर भी स्थूल हो जाय, इस वास्ते ईश्वर जगत् उपादान कारण नहीं हो सकता, किन्तु निमित्त कारण है।