सूत्र :कारणसमवायात्संयोगः पटस्य 10/2/2
सूत्र संख्या :1
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कारण अर्थात् समवाय कारण में रह कर संयोग भी कपड़े आदि कार्य में मिलकर रहने से उसका समवाय कारण है अर्थात् कपड़े का असमवाय कारण संयोग भी है। यहां कपड़े से कुल कार्य को जानना चाहिए। यदि अवयव और अवयवी का संयोग भी कपड़े आदि के बनने में असमवाय कारण है और कोई ऐसा मानते है, कि कारण में सम्मिलित होकर रहता है। अब यह बतलाते हैं कि संयोग कहीं बहुत बड़े कारण का होता है।