सूत्र :संयुक्तसमवायादग्नेर्वैशेषिकम् 10/2/3
सूत्र संख्या :1
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अग्नि में जो विशेष गुण गरमी है वह पाकज अर्थात् निमित्त गरमी वाली वस्तु में निमित्त कारण है यह उपलक्षण केवल ज्ञान के लिए है। व निमित्त कारण की विशेषता वाले हैं। बुद्धि, सुख, दुःख, इच्छा, घृण प्रयत्न, धर्म, अधर्म, विश्वास आदि निमित्तकारण की विशेषता सुख आदि में है। इस भेद को दिखलाते हैं। अबसम्पूण शास्त्र को समाप्त करने से प्रथम वेदों के प्रमाण को दढ़ करने के वास्ते दिखलाते हैं। यद्यपि यह दोनों सूत्र प्रथम भी आ चुके हैं। इनकी पुनरावृत्ति इसलिए है, कि न तो कोई वैदिक कर्म निष्फल जाता है और नहीं बिना वेद के तत्व ज्ञान मालूम हो सकता है।