DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :प्रसिद्धाधिक्यं प्रधानस्य न नियमः II6/38
सूत्र संख्या :38

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : प्रसिद्धता तो प्रकृति को दीखता है, इससे अधिक द्रव्यों को मानने का नियम छीक नहीं है क्योंकि कोई तो नौ द्रव्य मानते हैं, कोई सोलह द्रव्य मानते हैं, इस कारण उनका कोई नियम ठीक नहीं है और प्रकृति के सब कार्य रहे हैं, इसलिए उसको ही कारण मानना चाहिए।

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