सूत्र :पारम्पर्येऽपि प्रधानानुवृत्तिरणुवत् II6/35
सूत्र संख्या :35
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : परम्परा सम्बन्ध से भी प्रकृति को सबका कारण मानना चाहिये, जैसे घटादिकों के कारण अणु हैं और अणुओं का कारण परमाणु है, इसी तरह परम्परा सम्बन्ध से भी सबका कारण प्रकृति ही है।