सूत्र :गति-योगेऽप्याद्यकारणताहानिरणुवत् II6/37
सूत्र संख्या :37
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यद्यपि शरीर में गमनादित्रियाओं का योग है तो भी उसका आद्य कारण अवश्य मानना होगा, जैसे-अणु यद्यपि सूक्ष्म है तथापि उनका कारण अवश्य ही माना जाता है।