सूत्र :कर्मनिमित्तः प्रकृतेः स्वस्वामिभावो-ऽप्यनादिर्बीजान्नरवत् II6/67
सूत्र संख्या :67
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रकृति और पुरूष का स्वस्वामिंभाव सम्बन्ध भी पुरूष के कर्मों की वासना से अनादि ही मानना चाहिये, जैसे बीज और अंकुर का होना अनादि माना गया है।