सूत्र :अदृष्टोद्भूतिवत्स-मानत्वम् II6/65
सूत्र संख्या :65
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस वस्तु के कत्र्ता को हम प्रत्यक्ष देखते हैं तो उस कत्र्ता का हम अनुमान कर लेते हैं। दृष्टान्त-जैसे कि किसी घड़े को देखा और उसके कत्र्ता कुम्हार को नहीं देखा। तब अनुमान से मालूम करते हैं कि इसका बनाने वाला अवश्य है चाहे वह दिखाई नहीं दे। इसी प्रकार पृथिवी आदि अंकुरों का कत्र्ता भी कोई न कोई अवश्य है।