सूत्र :नित्यत्वेऽपि नात्मनो योग्यत्वाभावात् II6/33
सूत्र संख्या :33
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आत्मा नित्य भी है तो भी उसको उपादान कारण कहना केवल भूल है। क्योंकि जो बातें उपादान कारण में होती हैं वे बातें आत्मा में नहीं दीखती (स्पष्ट भाव यह है) यदि आत्मा ही सबका उपादान कारण होता तो पृथ्वी आदि सब चैतन्य होने चाहियें, परन्तु यह बात देखने में नही आती।