सूत्र :अचेतनत्वेऽपि क्षीरवच्चेष्टितं प्रधानस्य II3/59
सूत्र संख्या :59
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यद्यपि प्रकृति अचेतन है, यथापि उसकी प्रवृत्ति दूसरे के वास्ते है। दृष्टान्त- जैसे कि जड़ है लेकिन प्रवृत्ति चैतन्य बछड़ा आदि के वास्ते है और भी दृष्टान्त हैं-