सूत्र :विद्यातोऽन्यत्वे ब्रह्मबाधप्रसङ्गः II5/16
सूत्र संख्या :16
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि विद्या से अतिरिक्त पदार्थ का नाम अविद्या है, अर्थात् विद्या का नाश करने वाली अविद्या है, तो ब्रह्य का भी अवश्य नाश करेगी, क्योंकि वह भी विद्यामय है, और इस सूत्र का यह भी अर्थ है। यदि अविद्या विद्यारूप ब्रह्य से अतिरिक्त है और उसको विविध (अनेक प्रकार का परिच्छेद रहित ब्रह्य में माना जाता है, और ब्रह्य अविद्या से अन्य अर्थात् दूसरा अविद्या ब्रह्य से अन्य है तो ब्रह्य के परिच्छेद तत्त्व में बाधा पड़ेगी, इस वास्ते ऐसा मानना सत्य नहीं।
उत्तर- अविद्या का किसी से बाध हो सकता है, या नहीं? इसका ही विचार करते हैः-