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--CHAPTER NUMBER--
1. सृष्टि उत्पत्ति एवं धर्मोत्पत्ति विषय
2. संस्कार एवं ब्रह्मचर्याश्रम विषय
3. समावर्तन, विवाह एवं पञ्चयज्ञविधान-विधान
4. गृह्स्थान्तर्गत आजीविका एवं व्रत विषय
5. गृहस्थान्तर्गत-भक्ष्याभक्ष्य-देहशुद्धि-द्रव्यशुद्धि-स्त्रीधर्म विषय
6. वानप्रस्थ-सन्यासधर्म विषय
7. राजधर्म विषय
8. राजधर्मान्तर्गत व्यवहार-निर्णय
9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
10. चातुर्वर्ण्य धर्मान्तर्गत वैश्य शुद्र के धर्म एवं चातुर्वर्ण्य धर्म का उपसंहार
11. प्रायश्चित विषय
12. कर्मफल विधान एवं निःश्रेयस कर्मों का वर्णन
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4. गृह्स्थान्तर्गत आजीविका एवं व्रत विषय
अतपास्त्वनधीयानः प्रतिग्रहरुचिर्द्विजः ।अम्भस्यश्मप्लवेनेव सह तेनैव मज्जति ।।4/190
तस्मादविद्वान्बिभियाद्यस्मात्तस्मात्प्रतिग्रहात् ।स्वल्पकेनाप्यविद्वान्हि पङ्के गौरिव सीदति ।।4/191
न वार्यपि प्रयच्छेत्तु बैडालव्रतिके द्विजे ।न बकव्रतिके पापे नावेदविदि धर्मवित् ।।4/192
त्रिष्वप्येतेषु दत्तं हि विधिनाप्यर्जितं धनम् ।दातुर्भवत्यनर्थाय परत्रादातुरेव च ।।4/193
यथा प्लवेनाउपलेन निमज्जत्युदके तरन् ।तथा निमज्जतोऽधस्तादज्ञौ दातृप्रतीच्छकौ ।।4/194