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--CHAPTER NUMBER--
1. सृष्टि उत्पत्ति एवं धर्मोत्पत्ति विषय
2. संस्कार एवं ब्रह्मचर्याश्रम विषय
3. समावर्तन, विवाह एवं पञ्चयज्ञविधान-विधान
4. गृह्स्थान्तर्गत आजीविका एवं व्रत विषय
5. गृहस्थान्तर्गत-भक्ष्याभक्ष्य-देहशुद्धि-द्रव्यशुद्धि-स्त्रीधर्म विषय
6. वानप्रस्थ-सन्यासधर्म विषय
7. राजधर्म विषय
8. राजधर्मान्तर्गत व्यवहार-निर्णय
9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
10. चातुर्वर्ण्य धर्मान्तर्गत वैश्य शुद्र के धर्म एवं चातुर्वर्ण्य धर्म का उपसंहार
11. प्रायश्चित विषय
12. कर्मफल विधान एवं निःश्रेयस कर्मों का वर्णन
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9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
अनपत्यस्य पुत्रस्य माता दायं अवाप्नुयात् ।मातर्यपि च वृत्तायां पितुर्माता हरेद्धनम् ।।9/217
ऋणे धने च सर्वस्मिन्प्रविभक्ते यथाविधि ।पश्चाद्दृश्येत यत्किं चित्तत्सर्वं समतां नयेत् ।।9/218
वस्त्रं पत्रं अलङ्कारं कृतान्नं उदकं स्त्रियः ।योगक्षेमं प्रचारं च न विभाज्यं प्रचक्षते ।।9/219