Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
सन्तानहीन पुत्र के धन को माता प्राप्त करे और माता मर गयी हो ते पिता की माता अर्थात् दादी उसके धन को ले ले।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
निःसन्तान पुत्र का हिस्सा उसकी माता को मिलेगा। और यदि माता भी मर चुकी हो, तो दादी को वह धन मिलेगा।