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--CHAPTER NUMBER--
1. सृष्टि उत्पत्ति एवं धर्मोत्पत्ति विषय
2. संस्कार एवं ब्रह्मचर्याश्रम विषय
3. समावर्तन, विवाह एवं पञ्चयज्ञविधान-विधान
4. गृह्स्थान्तर्गत आजीविका एवं व्रत विषय
5. गृहस्थान्तर्गत-भक्ष्याभक्ष्य-देहशुद्धि-द्रव्यशुद्धि-स्त्रीधर्म विषय
6. वानप्रस्थ-सन्यासधर्म विषय
7. राजधर्म विषय
8. राजधर्मान्तर्गत व्यवहार-निर्णय
9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
10. चातुर्वर्ण्य धर्मान्तर्गत वैश्य शुद्र के धर्म एवं चातुर्वर्ण्य धर्म का उपसंहार
11. प्रायश्चित विषय
12. कर्मफल विधान एवं निःश्रेयस कर्मों का वर्णन
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7. राजधर्म विषय
क्सेम्यां सस्यप्रदां नित्यं पशुवृद्धिकरीं अपि ।परित्यजेन्नृपो भूमिं आत्मार्थं अविचारयन् ।।7/212
आपदर्थं धनं रक्षेद्दारान्रक्षेद्धनैरपि ।आत्मानं सततं रक्षेद्दारैरपि धनैरपि ।।7/213
सह सर्वाः समुत्पन्नाः प्रसमीक्ष्यापदो भृशम् ।संयुक्तांश्च वियुक्तांश्च सर्वोपायान्सृजेद्बुधः ।।7/214
उपेतारं उपेयं च सर्वोपायांश्च कृत्स्नशः ।एतत्त्रयं समाश्रित्य प्रयतेतार्थसिद्धये ।।7/215