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--CHAPTER NUMBER--
1. सृष्टि उत्पत्ति एवं धर्मोत्पत्ति विषय
2. संस्कार एवं ब्रह्मचर्याश्रम विषय
3. समावर्तन, विवाह एवं पञ्चयज्ञविधान-विधान
4. गृह्स्थान्तर्गत आजीविका एवं व्रत विषय
5. गृहस्थान्तर्गत-भक्ष्याभक्ष्य-देहशुद्धि-द्रव्यशुद्धि-स्त्रीधर्म विषय
6. वानप्रस्थ-सन्यासधर्म विषय
7. राजधर्म विषय
8. राजधर्मान्तर्गत व्यवहार-निर्णय
9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
10. चातुर्वर्ण्य धर्मान्तर्गत वैश्य शुद्र के धर्म एवं चातुर्वर्ण्य धर्म का उपसंहार
11. प्रायश्चित विषय
12. कर्मफल विधान एवं निःश्रेयस कर्मों का वर्णन
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9. राज धर्मान्तर्गत व्यवहार निर्णय
यस्या म्रियेत कन्याया वाचा सत्ये कृते पतिः ।तां अनेन विधानेन निजो विन्देत देवरः ।।9/69
यथाविध्यधिगम्यैनां शुक्लवस्त्रां शुचिव्रताम् ।मिथो भजेता प्रसवात्सकृत्सकृदृतावृतौ ।।9/70
न दत्त्वा कस्य चित्कन्यां पुनर्दद्याद्विचक्षणः ।दत्त्वा पुनः प्रयच्छन्हि प्राप्नोति पुरुषानृतम् ।।9/71
विधिवत्प्रतिगृह्यापि त्यजेत्कन्यां विगर्हिताम् ।व्याधितां विप्रदुष्टां वा छद्मना चोपपादिताम् ।।9/72
यस्तु दोषवतीं कन्यां अनाख्यायोपपादयेत् ।तस्य तद्वितथं कुर्यात्कन्यादातुर्दुरात्मनः ।।9/73