“हम भविष्यवाणी करते हैं कि कुरान की जो नई व्याख्या लिखी जायेगी उसके ठीक (दुरुस्त) होने की कसौटी ऋषि दयानन्द की समीक्षा होगी। कुछ अहले इस्लाम अपनी कम फ़हमी (भूल भ्रान्तियों) के कारण सत्यार्थप्रकाश के चौदहवें समुल्लास: का विरोध कर तो बैठते हैं, परन्तु उन्हें ज्ञान ही नहीं कि सत्यार्थप्रकाश का चौदहवाँ समुल्लास: यात्रियों का वह मार्गदर्शक शंखनाद है, जो इस्लाम के काफिले को ठीक मान्यताओं की ओर तेज पग उठाने की प्रेरणा दे रहा है।
काफ़िले वालो ! शंखनाद की ध्वनि को सुनो तथा ध्येयधाम की ओर पग उठाओ।”
[द्रष्टव्य, चौदहवीं का चाँद (उर्दू पुस्तक) लेखक पण्डित चमूपति, पृष्ठ १८७]
✍🏻 लेखक – पण्डित चमूपति एम॰ए॰
[📖 साभार ग्रन्थ – कवीर्मनीषी पण्डित चमूपति – राजेंद्र जिज्ञासु]
प्रस्तुति – 🌺 ‘अवत्सार’
॥ओ३म्॥