Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
दोषरहित या अनिन्दित जो कोई खाने की वस्तु चिकनाई अर्थात् घृत आदि से मिलाकर बनायी गयी हो वह बासी भी खा लेनी चाहिए तथा जो यज्ञ की हवि से बची खाद्यवस्तु हो वह भी खा लेनी चाहिए ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
एवं, जो कोई घृतमिश्रित भोज्य पदार्थ भक्ष्य कहा गया है, यदि वह बिगड़ा न हो तो उसे वासी होने पर भी खा लेना चाहिये। और इसी प्रकार जो भक्ष्य हव्यशेष हो, वह भी खाने योग्य है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(यत् किंचित्) जो कुछ (स्नेह संयुक्तं) घी या तेल में पका हो (भक्ष्यं भोज्यम् अगर्हितम्) और खाने के योग्य तथा अनिन्दनीय हो (तत्) उसको (परि-उषितम् अपि) बासी होने पर भी (आद्यं) खा लेने में दोष नहीं है, (हविः शेषं च यद् भवेत्) हवन का शेष हो तो उसको भी।