Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
‘‘द्विज अर्थात् ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों को मलीन, विष्ठा, मूत्रादि के संसर्ग से उत्पन्न हुए शाक, फल - मूलादि न खाना ।’’
(स० प्र० दशम समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अतः, लहसुन, शलगम, प्याज, खुम्भ, और इसी प्रकार मलीन विष्रूठा आदि के संसर्ग से उत्पन्न होने वाले अन्य सअ शाक-फल-मूलादि द्विजों के लिए अभक्ष्य हैं।