Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
गृहस्थ वृत्ति ब्राह्मण अर्थात् गृहस्थी ब्राह्मण का यह नित्य व्रत कहा तथा बुद्धि की वृद्धि करने वाला स्नातक व्रत भी कहा।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह गृहस्थ द्विज की नित्य की वृत्ति या दिनचर्या कही और सतोगुण की वृद्धि करने वाला श्रेष्ठ स्नातकगृहस्थ के व्रतों के विधान को भी कहा ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एषा गृहस्थस्य विप्रस्य शाश्वती वृत्तिः उदिता) गृहस्थ विप्र की यह नित्य वृत्ति-अर्थात् दिनचर्या कही गई है। (व्रतकल्पः स्नातकः तु सत्त्ववृद्धिकरः शुभः) जो स्नातक व्रत करता है वह शुभ है और प्राणियों की वृद्धि करता है।