Manu Smriti
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एकं एव तु शूद्रस्य प्रभुः कर्म समादिशत् ।एतेषां एव वर्णानां शुश्रूषां अनसूयया । ।1/91

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
शूद्र के लिये एक ही कर्म प्रभु ने नियत किया अर्थात् तन और मन से तीनों वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य) की सेवा करना।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
‘‘प्रभुः परमेश्वर ने शूद्रस्य जो विद्याहीन - जिसको पढ़ने से भी विद्या न आ सके, शरीर से पुष्ट, सेवा में कुशल हो, उस शूद्र के लिए एतेषामेव वर्णानाम इन ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों वर्णों की अनसूयया निन्दा से रहित प्रीति से शुश्रूषाम् सेवा करना, एकमेव कर्म यही एक कर्म समादिशत् करने की आज्ञा दी है ।’’
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एकम् एव तु शूद्रस्य) शूद्र का केवल एक (प्रभुः) ब्रह्मा ने (कर्म) काम (सम् आदिशत्) बताया। (एतेषम् एव वर्णानाम्) इन वर्णों की ही (शुश्रूषां) सेवा को (अनुसूयया) बिना निन्दा के। शूद्र को बिना संकोच अन्य वर्णों की सेवा करनी चाहिये।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
प्रभु ने शूद्र का एक ही कर्म समादिष्ट किया है; और वह है निन्दा ईर्ष्या अभिमान आदि दोषों को छोड़ कर इन्हीं तीनों वर्णों की यथावत् सेवा करना।
 
USER COMMENTS
Comment By: Pankaj Kumar
Shahi to he
Comment By: chhail singh
Is se better sudra k liye kaam aur uski vyakhya nhi ho sakti. Kuch galat nhi.
Comment By: dalveer singh
Bhai Mukesh ji ram ram .Apne sahi kaha hai.anpadh Brahman bhi Sudra hi hai.
Comment By: maharishi manu
Main padha likha vyakti hon tum dongi Brahman jab chaho mujse 4 vedon jan sakte hon main inpe Search karta hun mujhe pura ved sanskrit main yad hai main chamar hun lakin ab bhi main chamar hun
Comment By: ADMIN
आप पढ़े लिखे होने के बाद भी जातिवाद में उलझे हो इससे अधिक दुखद बात क्या हो सकती है और चमार होना कोई लज्जित होने वाली बात थोड़े ही है आपका ज्ञान ही आपकी श्रेष्ठता को सिद्ध करता है न की आपकी जाति
Comment By: mohmmad asif ali
Ye kitab insaniyat ke khelaf hai koi bhi insan kisi se bhi chhota ya badha nahi hota hai kiu ki Allah ne sab ko ak jaisa peida kiya hai ye hai hamara Islam
Comment By: Rajesh Kumar Singh
Shoodr hona koi lajja ka visay nhi ho sakta kyo kyoki jab aap Apne maa baap ki sewa karte h tab aap shoodr Karm kar rahe hote h Bina shoodr K ye samaz apang h Isliye isko jati se Na jodkar karm se jodiye ,kisi momin ki chatukarita se Achchha to shoodr karm h din bhar apno ki sewa kariye
Comment By: umesh
Salo ye kaisa law hai jo samaj me ek insan se dusara insa n chhota bada banata hai ise jala do
Comment By: ADMIN
उमेश जी नमस्ते यह कानून वर्तमान लागू कानून से तो अच्छा ही है वर्तमान संविधान में sc से जनरल में जाने का कोई लीगल तरीका नहीं है जबकि मनुस्मृति के अनुसार जो अच्छे और श्रेष्ठ कर्म करेगा वह उच्च वर्ण को प्राप्त होगा चाहे किसी भी घर में जन्म क्यों न लिया हो
Comment By: ADMIN
आसिफ अली आपने कहा की Ye kitab insaniyat ke khelaf hai koi bhi insan kisi se bhi chhota ya badha nahi hota hai kiu ki Allah ne sab ko ak jaisa peida kiya hai ye hai hamara Islam इस्लाम तो कहता है की जो इस्लाम को न माने जो मुहम्मद साहब की न माने वह काफिर है उसे जहाँ देखो मारो काटो ऐसा इस्लाम मानवता ही नहीं अपितु समग्र संसार के खिलाफ है जिसका विरोध अब एक बड़े स्तर पर हो रहा है रही बात manusmriti की तो यह मानवता का उच्च सिद्धांत देती है "मनुर्भव" का यानी "मनुष्य बनो"
Comment By: sandeep singh
mujhe ye pata karna h ki yadi is book mai kisi jati ko prathmikta ya kisi jati ko nichla ya pichda nhi mana gya h to is book k hisab se ek sudra or ek brahmin shadi kar sakte h jab dono ka gyan saman ho? pls mujhe is baat ko samjhane ki madad kare!
Comment By: ADMIN
sandeep singh जी नमस्ते आपके प्रश्न के लिए आप वर्ण व्यवस्था को समझिये, यदि कोई लड़का किसी ब्राह्मण के घर पैदा हुआ और व्यस्क होने पर वह ब्राह्मण गुणों से परिपूर्ण रहा यानी उसके कर्म ब्राह्मण अनुसार रहा और शुद्र कुल में पैदा हुई लड़की यदि व्यस्क होने तक ब्राह्मण कर्म करती है तो वह ब्राह्मण कहलाएगी और फिर वे दोनों विवाह भी कर सकती है
Comment By: Sudhakar yadav
Ishawar ne sbko barabar adhikaar diye h .janam se na koi brahmin hota h ,na hi kshatriya na hi vaishya aur na hi Sudra .sb k sb apne krmo se bnte h
 
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