Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो मनुष्य अपने कुल को उत्तम करना चाहे वह नीच - नीच पुरूषों का सम्बन्ध छोड़कर नित्य अच्छे - अच्छे पुरूषों से सम्बन्ध बढ़ाता जावे ।
(स० वि गृहाश्रम प्र०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
६७-जो मनुष्य अपने कुल को उत्तम बनाना चाहे, उसे चाहिए कि वह नीच नीच पुरुषों का सम्बन्ध छोड़ दे और नित्य उत्तम उत्तम पुरुषों के साथ सम्बन्ध बढ़ावे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(उत्तमैः उत्तमैः सह नित्यं सम्बंधान् आचरेत्) सदा उत्तम उत्तम पुरुषों के साथ सम्बन्ध (रिश्तेदारी) करें। (निनीषुः कुलं उत्कर्षं) कुल को उन्नति देने की इच्छा रखने वाला। (अधमान् अधमान् त्यजेत्) नीच नीच को त्याग दें।