Manu Smriti
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नदीषु देवखातेषु तडागेषु सरःसु च ।स्नानं समाचरेन्नित्यं गर्तप्रस्रवणेषु च ।।4/203

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
नदी, देवताओं के खान (गार) तथा तड़ाग (तालाब), बन्द, झरना तथा गढ़ा इन सब में नित्य स्नान करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
नदियों में प्राकृतिक जलाशयों में तालाबों में झरनों में और ऐसे गड्ढों में जिनका बहता पानी हो सदा स्नान करना चाहिए ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
नदियों में, देवखात नामी तालाबों में, पोखरों में, झीलों में और झरनों में नित्य स्नान करें।
 
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