Manu Smriti
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अधोदृष्टिर्नैष्कृतिकः स्वार्थसाधनतत्परः ।शठो मिथ्याविनीतश्च बकव्रतचरो द्विजः ।।4/196

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
नीचे देखने वाला, निर्दयी, व्यार्थ साधन में सदैव तत्पर (लगा हुआ) शठ, निठुर, धोका देने के लिये विनीत भाव दिखलाने वाले, यह सब विडालवृत्ति के गुण हैं। इन लक्षणों से युक्त पुरुष को वेडालवृत्ति कहते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
कीत्र्ति के लिए नीचे दृष्टि रखे ईश्र्यक, किसी ने उस का पैसा भर अपराध किया हो तो उसका बदला प्राण तक लेने को तत्पर रहे चाहे कपट, अधर्म, विश्वासघात क्यों न हो अपना प्रयोजन साधने में चतुर चाहे अपनी बात झूठी क्यों न हो परन्तु हठ कभी न छोडे झूठ - मूठ ऊपर से शील, सन्तोष और साधुता दिखलावे, उस को बगुले के समान नीच समझो । (स० प्र० चतुर्थ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अपने को सदाचारी दर्शाने के लिए नीचे द्ष्टि रखने वाला, किसी ने पैसा भर अपराध किया हो तो उस के बदले में प्राण तक लेने में तत्पर, चाहे कपट अधर्म और विश्वासघात भी क्यों न हो परन्तु अपना प्रयोजन साधने में चतुर, चाहे अपनी बात झूठी ही क्यों न हो परन्तु अपने हठ को भी न छोड़ने वाला, और झूठ-झूठ ऊपर से शील संतोष साधुता दिखलाने वाला द्विज बगुले के समान नीचे होता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
ब्कव्रती के लक्षण यह हैंः-नीचे को दृष्टि रखने वाला, नैष्कृतिकः अर्थात् निकम्मा, स्वार्थसाधनतत्परः-स्वार्थी, शठ, भूठमूठ विनय करने वाला।
 
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