Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिसमें कोई लक्षण नहीं है, जो किसी का अप्रिय नहीं करता, तथा श्रद्धावान् और उत्तम पुरुषों की नाईं सदाचारी है वह सौ वर्ष जीता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. जो सब अच्छे लक्षणों से हीन भी होकर सदाचारयुक्त सत्य में श्रद्धा और निन्दा आदि दोष रहित होता है वह सुख से सौ वर्ष पर्यन्त जीता है ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो पुरुष सदाचारी, सत्य में आस्था वाला होने से श्रद्धावान् और निन्दा आदि दोषों से रहित है, वह चाहे अन्य सब लक्षणों से हीन भी क्यों न हो, सुख से सौ वर्ष पर्यन्त जीता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो सदाचारी पुरुष और सब गुणों से हीन है, जो श्रद्धालु है और जो ईष्र्या नहीं करता वह सौ वर्ष तक जीता है अर्थात् दीर्घायु होता है।