Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
आयु, उत्तम सन्तति, अक्षय धन यह सब आचार द्वारा सदा प्राप्त होते हैं। तथा शरीर में जो अवगुण दोष देने वाले होते हैं, आचार उनको नाश कर देता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. धर्माचरण से दीर्घायु आचार से उत्तम सन्तान आचार से अक्षय धन प्राप्त होता है धर्माचरण बुरे अधर्मयुक्त लक्षणों का नाश कर देता है ।
टिप्पणी :
‘‘धर्माचरण ही से दीर्घायु, उत्तम प्रजा और अक्षय धन मनुष्य को प्राप्त होता है और धर्माचरण बुरे अधर्मयुक्त लक्षणों का नाश कर देता है ।’’
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
‘‘इसलिये मिथ्याभाषणादि रूप अधर्म को छोड़ जो धर्माचार अर्थात् ब्रह्मचर्य जितेन्द्रियता से पूर्ण आयु और धर्माचार से उत्तम प्रजा तथा अक्षय धन को प्राप्त होता है तथा जो धर्माचार में वत्र्तकर दुष्ट लक्षणों का नाश करता है उसके आचरण को सदा किया करे ।’’
(स० प्र० चतुर्थ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सदाचार से दीर्घ आयु प्राप्त होती है, सदाचार से अभीष्ट उत्तम सन्तान का लाभ होता है, सदाचार से अक्षय धन मिलता है, और सदाचार बुराइयों का नाश करता है।१
१. यह प्रकरण स० स० ४ और सं० वि० गृहाश्रम में देखें।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सदाचार से आयु बढ़ती है। सदाचार से संतान उत्पन्न होती है। सदाचार से अक्षय धन मिलता है जिसका कभी क्षय नहीं होता। सदाचार बुरे लक्षणों को दूर करता है।