Manu Smriti
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अभिवादयेद्वृद्धांश्च दद्याच्चैवासनं स्वकम् ।कृताञ्जलिरुपासीत गच्छतः पृष्ठतोऽन्वियात् ।।4/154

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि कोई वृद्ध अपने गृह पर आवे तो उसका अभिवादन करें और बैठने के हेतु आसन देवें तथा सामने करबद्ध खड़े रहें, जब वह चलने लगे तब आप भी पीछे होकर चलें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. सदा विद्यावृद्धों और वयोवृद्धों को नमस्ते अर्थात् उनका मान्य किया करे जब वे अपने समीप आवें तब उठकर, मान्यपूर्वक अपने आसन पर बैठावे और हाथ जोड़ के आप समीप बैठे, पूछें वह उत्तर देवे और जब जाने लगें तब थोड़ी दूर पीछे - पीछे जाकर नमस्ते कर, विदा करे । (सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
५१-अपने घर पर आने पर विद्याबृद्धों और वयोबृद्धों को अभिवादन करे, बैठने के लिए अपना आसन देवे, और हाथ जोड़ कर उनके समीप बैठ प्रश्नोत्तर करे। और, जब वे जाने लगें तो आप कुछ दूर तक उनके पीछे-पीछे चले।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
वृद्ध पुरुषों को नमस्ते करें, और अपना आसन दें। हाथ जोड़कर उनके पास जावें। जब वे जावें तो उनके पीछे पीछे जावें।
 
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