Manu Smriti
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मङ्गलाचारयुक्तानां नित्यं च प्रयतात्मनाम् ।जपतां जुह्वतां चैव विनिपातो न विद्यते ।।4/146

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो मनुष्य यह सर्व कर्म करता है, वह शास्त्रेक्त रीत्यानुसार चलता है, उसको देवता अन्य मनुष्य कुछ हानि नहीं पहुँचा सकते।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो सदाकल्याणकारी कार्यों में लगे रहते हैं अथवा जो श्रेष्ठ आचरण का पालन करते हैं और जो सदा उन्नति के लिए प्रयत्नशील रहते हैं तथा जो परमात्मा का जाप करते हैं जो हवन करते हैं, उनकी अवनति नहीं होती ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
सदा मङ्गलाचरण वालों, पवित्र-हृदयों तथा सन्ध्या-अग्निहोत्र करने वाले गृहस्थों का कभी पतन या उन्हें किसी तरह का कष्ट क्लेश नहीं होता।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो लोग सुन्दर चाल-चलन वाले हैं, जो सदा प्रयत्नशील हैं, जो जप और हवन नित्य करते हैं, उनको कोई कष्ट नहीं होता।
 
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