Manu Smriti
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वायोरपि विकुर्वाणाद्विरोचिष्णु तमोनुदम् ।ज्योतिरुत्पद्यते भास्वत्तद्रूपगुणं उच्यते । ।1/77

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
वायु के पश्चात् तम का नाश करने वाली और प्रकाश फैलाने वाली ज्योति उत्पन्न की। इसका गुण रूप है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(वायोः अपि) उस वायु के भी (विकुर्वाणात् )विकारोत्पादक अंश से (विरोचिष्णुः उज्जवल तमोनुदम्) अन्धकार को नष्ट करने वाली (भास्वत् )प्रकाशक (ज्योतिः उत्पद्यते ‘अग्नि’) उत्पन्न होती है (तत् रूप गुणम् उच्यते )उसका गुण ‘रूप’ कहा है ।
 
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