Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
उठकर दिनचर्या के आवश्यक कार्य सम्पन्न करके स्वच्छ - पवित्र होकर एकाग्रचित्त होकर प्रातः कालीन संध्योपासना करने के लिए देर तक बैठे और उपयुक्त समय पर सांयकालीन संध्या में भी उपासना करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
तदनन्तर, शय्या से उठ आवश्यक कृत्य (मल-मूत्र त्यागना) कर, दन्तधावन स्नान से शरीर-शुद्धि करके तथा एकाग्रचित्त होकर गायत्री का जप करता हुआ प्रातः सन्ध्या का अनुष्ठान करे, और सायकाल में सायंसन्ध्या चिरकाल तक करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
उठकर और आवश्यक शौच आदि कर्मों को करके, प्रातःकाल की संध्या को देर तक करें। सायंकाल की संध्या को भी।