Manu Smriti
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रजसाभिप्लुतां नारीं नरस्य ह्युपगच्छतः ।प्रज्ञा तेजो बलं चक्षुरायुश्चैव प्रहीयते ।।4/41

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो पुरुष रजोदर्शन वाली स्त्री से भोग करता है उसकी बुद्धि, तेज बल, चक्षु तथा आयु यह सब क्षीण हो जाते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
क्यों कि रजस्वला स्त्री के पास जाने वाले - उपभोग करने वाले मनुष्य के बुद्धि, तेज, बल, नेत्रज्योति और आयु ये सब घटते हैं ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
क्योंकि रजस्वला स्त्री के साथ संग करने पर मनुष्य की बुद्धि, तेज, बल, द्ष्टि और आयु क्षीण हो जाती है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(रजसा अभिप्लुतां नारीं हि उपगच्छतः नरस्य प्रज्ञा तेजो बलं चक्षुः आयुः च एव प्रहीयते) रजस्वला नारी से उपभोग करने वाले मनुष्य की बुद्धि, तेज, बल, आँखों की रोशनी तथा आयु क्षीण हो जाती है।
 
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