Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(मनु महर्षियों से कहते हैं कि) (ब्राह्मस्य तु क्षपा - अहस्य) परमात्मा के दिन - रात का तु तथा एकैकशः युगानाम् एक - एक युगों का यत् प्रमाणम् जो कालपरिमाण है तत् उसे क्रमशः क्रमानुसार और समासतः संक्षेप से निबोधत सुनो ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
मानुष और दैविक काल-ज्ञान के पश्चात् अब ब्राह्म (ईश्वरीय) रात दिन का तथा एक एक (प्रत्येक) युग का जो प्रमाण है, संक्षेपतः क्रमशः उसे सुनिए-