Manu Smriti
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ब्राह्मस्य तु क्षपाहस्य यत्प्रमाणं समासतः ।एकैकशो युगानां तु क्रमशस्तन्निबोधत । ।1/68

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्रह्मा के रात्रि-दिन की संख्या और प्रत्येक युग की संख्या क्रम से स्पष्ट सुनिये-
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(मनु महर्षियों से कहते हैं कि) (ब्राह्मस्य तु क्षपा - अहस्य) परमात्मा के दिन - रात का तु तथा एकैकशः युगानाम् एक - एक युगों का यत् प्रमाणम् जो कालपरिमाण है तत् उसे क्रमशः क्रमानुसार और समासतः संक्षेप से निबोधत सुनो ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
मानुष और दैविक काल-ज्ञान के पश्चात् अब ब्राह्म (ईश्वरीय) रात दिन का तथा एक एक (प्रत्येक) युग का जो प्रमाण है, संक्षेपतः क्रमशः उसे सुनिए-
 
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