Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
बुद्धि तथा धन की वृद्धि करने वाले वैदिक (वेदांग आदि) तथा निगम, शिल्पकारी, वैद्यक, शस्त्रविद्या (युद्ध विद्या), धर्मशास्त्र आदि विद्याओं का नित्य स्वाध्याय किया करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
हे स्त्रीपुरूषो! तुम जो धर्म - धन और बुद्धयादि को अत्यन्त शीघ्र बढ़ाने हारे हितकारी शास्त्र हैं उनको और वेद के भागों की विद्याओं को नित्य देखा करो ।
(सं० वि० गृहाश्रम वि०)
टिप्पणी :
‘‘जो शीघ्र बुद्धि - धन और हित की बुद्धि करने हारे शास्त्र और वेद हैं उनको नित्य सुनें और सुनावें, ब्रह्मचर्याश्रम में जो पढ़े हों उनको स्त्री पुरूष नित्य विचारा और पढ़ाया करें ।’’
(स० प्र० विवाह सं०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
८-गृहस्थ बुद्धि को शीघ्र बढ़ाने वाले, धन का संचय कराने वाले किंवा हितकारी शास्त्रों और वैदिक-विज्ञानों को नित्यप्रति अवलोकन किया करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(बुद्धि-वृद्धि कराणि आशु) शीघ्र बुद्धि बढ़ाने वाले (धन्यानि च) धन को देने वाले (हितानि च) और हितकारक (शास्त्राणि) शास्त्रों को (निगमान् च एव वैदिकान्) और वेदों के सहायक ग्रन्थों को (नित्यं) सदा (अवेक्षेत्) ध्यान में रक्खें।