Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इसके पश्चात् अयक्त और अचिन्त्य शक्ति रंग वाले और अन्धकार का नाश करने वाले परमेश्वर ने महत्वपूर्ण तत्त्व आकाश वायु आदि साकल्पिक अर्थात् माँ-बाप के बिना उत्पन्न होने वाले लोगों को पैदा किया।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. (ततः) तब (स्वयम्भूः )अपने कार्यों को करने में स्वंय समर्थ, किसी दूसरे की सहायता की अपेक्षा न रखने वाला (अव्यक्तः) स्थूल रूप में प्रकट न होने वाला (तमोनुदः) ‘तम’ रूप प्रकृति का प्रेरक - प्रकटावस्था की ओर उन्मुख करने वाला (महाभूतादि वृत्तौजाः) अग्नि, वायु आदि महाभूतों को आदि शब्द से महत् अहंकार आदि को भी (१।१४-१५) उत्पन्न करने की महान! शक्तिवाला (भगवान्) परमात्मा (इदम्) इस समस्त संसार को (व्यंज्जयन्) प्रकटावस्था में लाते हुए ही (प्रादुरासीत्) प्रकट हुआ ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
तब स्वयम्भू भगवान्-जोकि इन्द्रियागोचर, पञ्चमहाभूतों को सृष्टि की आदि में प्रकटित करने में शक्तिसम्पन्न, और तमोरूपी प्रकृति को प्रेरित व संचालित करने वाला जगदीश्वर है-इस जगत् को अभिव्यक्त करता हुआ प्रादुर्भूत हुआ।