Manu Smriti
 HOME >> SHLOK >> COMMENTARY
वैश्वदेवस्य सिद्धस्य गृह्येऽग्नौ विधिपूर्वकम् ।आभ्यः कुर्याद्देवताभ्यो ब्राह्मणो होमं अन्वहम् 3/84

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
संस्कार सहित अवस्था नाम अग्नि में जो आगे देवता कहेंगे उनको निम्य यथाविधि आहुति देवें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. ब्राह्मण एवं द्विज व्यक्ति पाकशाला की अग्नि में सिद्ध - तैयार हुए बलिवैश्वदेव यज्ञ के भाग वाले भोजन का प्रतिदिन इन देवताओं के लिए आहुति देकर हवन करे -
टिप्पणी :
‘‘चैथा वैश्वदेव - अर्थात् जब भोजन सिद्ध हो तब जो कुछ भोजनार्थ बने उसमें से खट्ठा लवणान्न और क्षार को छोड़के घृत मिष्टयुक्त अन्न लेकर चूल्हे से अग्नि अलग धर निम्नलिखित मन्त्रों से विनयपूर्वक होम नित्य करे’’ (सत्यार्थ० चतुर्थ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
१) गार्हपत्याग्नि में परिवार के समस्त मनुष्यों के लिये जो भोजन तय्यार हुआ हो, उसमें से द्विज गृहस्थ प्रतिदिन दिव्य गुणों की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित १० मन्त्रों से उसी पाकाग्नि में विधिपूर्वक होम करे-
 
NAME  * :
Comments  * :
POST YOUR COMMENTS