Manu Smriti
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अहुतं च हुतं चैव तथा प्रहुतं एव च ।ब्राह्म्यं हुतं प्राशितं च पञ्चयज्ञान्प्रचक्षते 3/73

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
1-आहुत, 2-हुत, 3-प्रहुत, 4-ब्राह्महुत, 5-प्राशित यह पाँच यज्ञ हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
इन पांच यज्ञों को ‘अहुत’, ‘हुत’, ‘प्रहुत’, ‘ब्रह्मयहुत’ और प्राशित भी कहते हैं ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
कई आचार्य इन पांच यज्ञों के नाम अहुत, हुत, प्रहुत, ब्राह्म हुत और प्राशित कहते हैं।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इन पांच महायज्ञों के दूसरे नाम यह भी हैं। अहुत, हुत, प्रहुत ब्राह्महुत, प्राशित।
 
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