Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
गृह्मसूत्र में वर्णित कर्म पंचयज्ञ और नित्य भोजन पाक इन सबको विवाह समय की अग्नि में यथाविधि करना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. गृहस्थी पुरूष विवाह के बाद प्रज्वलित की जाने वाली अग्नि अर्थात् गार्हस्थ्यरूप अग्नि में गृहस्थ के सभी कत्र्तव्यों को उचित विधि के अनुसार करे होम, दैव आदि (३।७०) पांचों यज्ञों को तथा प्रतिदिन का भोजन पकाना ये भी करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
गृहस्थ गार्हपत्याग्नि में यथाविधि पक्षेष्टि आदि गृह्यकर्म, पञ्चयज्ञों में विहित अग्निहोत्र तथा बलिवैश्वदेव, और दैनिक पाक किया करे।