Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस कुल में स्त्रियों की पूजा होती है उस कुल में देवता रमते (विहार करते) हैं। और जहाँ नारियों की पूजा नहीं होती वहाँ सब क्रियायें निष्फल होती हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जिस कुल में नारियों की पूजा अर्थात् सत्कार होता है उस कुल में दिव्य गुण - दिव्य भोग और उत्तम सन्तान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती है वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं ।
(सं० वि० गृहाश्रम)
टिप्पणी :
‘‘जिस घर में स्त्रियों का सत्कार होता है उसमें विद्यायुक्त पुरूष होके, देवसंज्ञा धरा के आनन्द से क्रीडा करते हैं और जिस घर में स्त्रियों का सत्कार नहीं होता वहां सब क्रिया निष्फल हैं ।’’
(स० प्र० चतुर्थ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जिस कुल में नारियों का सत्कार होता है, वहां कुलवासी देवताओं की तरह आनन्द से विचरते हैं और उसी कुल में दिव्य गुण, दिव्य भोगा और उत्तम सन्तान होते हैं। और जिस कुल में स्त्रियों की पूजा नहीं होती, वहां सब क्रियायें निष्फल हो जाती हैं।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(यत्र नार्यः तु पूज्यन्ते) जिन घरों में स्त्रियों का सत्कार होता है (रमन्ते तत्र देवताः) वहाँ देवताओं का वास है। (यत्र एताः तु न पूज्यन्ते) जहाँ इनका सत्कार नहीं होता (सर्वाः तत्र अफलाः क्रियाः) वहाँ सब काम असफल होते हैं।