Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस कन्या का शुल्क (पलटा) जाति वाले नहीं लेते वह कन्या विक्रय नहीं कहलाता। शुल्क ने लेना कन्या पूजन है। और अनशत्य (दया) है।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जिन कन्याओं का धन बन्धुलोग नहीं लेते, वह विक्रय नहीं, अपितु वह कुमारियों का अतिप्रशस्त पूजन है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(यासाम्) जिन स्त्रियों के (न) नहीं (आददते) लेते हैं (शुल्कम्) धन, (ज्ञातयः) रिश्तेदार (न सविक्रयः) यह बेचना नहीं है। (अर्हणं तत् कुमारीणाम्) ऐसी कुमारियों की पूजा करना (आनृशंस्यं च केवलम्) सर्वथा ठीक है।
अर्थात् लड़की के विवाह में कुछ भी न लेना चाहिये।