Manu Smriti
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आर्षे गोमिथुनं शुल्कं के चिदाहुर्मृषैव तत् ।अल्पोऽप्येवं महान्वापि विक्रयस्तावदेव सः 3/53

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
किसी ऋषि ने आप विवाह में दो गऊ लेना नियत वा योग्य ठहराया है परंतु थोड़ा वा बहुत लेना कन्या विक्रय (बेचना) ही कहलाता है।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
आर्ष विवाह में गाय-बैल का जोड़ा शुल्क रूप में लेना कइयों ने कहा है, परन्तु वह मिथ्या ही है। क्योंकि इस प्रकार चाहे वह थोड़ा हो वा अधिक कन्या-विक्रय ही तो है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(आर्षे) आर्ष विवाह में (गोमिथुनं शुल्कम्) एक जोड़ा बैल लेना (केचित् आहुः) कुछ लोग उचित बताते हैं, (मृषा एव तत्) यह सब मिथ्या है (अल्पः अपि एवम्) चाहे थोड़ा हो (महान् वा अपि) और चाहे बहुत हो (विक्रयः तावत् एव सः) वह तो बिलकुल बेचना ही है।
 
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