Manu Smriti
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स्त्रीधनानि तु ये मोहादुपजीवन्ति बान्धवाः ।नारी यानानि वस्त्रं वा ते पापा यान्त्यधोगतिम् 3/52

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पत्नी (स्त्री) के धन, वस्त्र अथवा सवारी को लेकर जो बान्धव अपना कालयापन करते हैं वह बड़े पापी होते हैं और नरकवास करते हैं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इसी प्रकार पितृकुल या पतिकुल के जो बन्धुलोग मूढ़तावश स्त्री के घर, यान व वस्त्रादि से जीविका चलाते हैं, वे पापीलोग दुर्गति को पाते हैं।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(स्त्रीधनानि) स्त्री-धन को (तु) तो (ये) जो लोग (मोहात्) अज्ञानता से (उपजीवन्ति) भोगते हैं (बान्धवाः) रिश्तेदार, (नारी यानानि) या स्त्री की सवारी को (वस्त्रं वा) या वस्त्र को (ते पापः) वे, पापी लोग (यान्ति अधोगतिम्) अधोगति को प्राप्त होते हैं।
टिप्पणी :
अर्थात् पति या उसके रिश्तेदारों को चाहिये कि वधू के धन वस्त्र या घोड़े आदि सवारी लेने का यत्न न करें।
 
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